तेरा सज रहा सै दरबार,
आ मात पाथरी आली।।
तेरे नाम की रात जगाई,
मनैं करके आस बुलाई,
तनै कड़े लगादी वार,
आ मात पाथरी आली।।
तू खेल ज्योत पै आइए,
मां 52 रूप दिखाइए,
आज गुंजण दे किलकार,
आ मात पाथरी आली।।
मां संकट मनैं सतावै,
यो सिर पै चढ़ता जावै,
मेरी नही बसावै पार,
आ मात पाथरी आली।।
मंजीत की बणो हिमाती,
संजू का साथ निभाती,
तेरा खूब करे सै प्रचार,
आ मात पाथरी आली।।
तेरा सज रहा सै दरबार,
आ मात पाथरी आली।।
गायक – संजू हरियाणवी।
प्रेषक – विजय सोनी।
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आशीर्वाद – गुरु जी श्री कृष्ण जुंआ वाले।
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