भई रे छोड्यो पिन्जरीया रो हेत हंसो परखंडा चालीयो लिरिक्स
भई रे छोड्यो पिन्जरीया रो हेत, हंसो परखंडा चालीयो। दोहा – हाड़ जले जैसे लकडी जल गई, केश जले जैसे घासा, सोने जैसी …
भई रे छोड्यो पिन्जरीया रो हेत, हंसो परखंडा चालीयो। दोहा – हाड़ जले जैसे लकडी जल गई, केश जले जैसे घासा, सोने जैसी …