तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया रे

तनधारी जग में अवधु कोई नहीं सुखिया रे

तनधारी जग में अवधु, दोहा- कोई तन दुःखी, कोई मन दुखी, थोड़े थोड़े सब दुखी, सुखी राम को दास। तनधारी जग में अवधु, …

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