नर्मदा किनार,
लुटई गया प्यार,
कसी महिमा प्यारी,
लगई गया रे,
संत शिरोमणि,
सियाराम बाबा,
ब्रह्म ज्योति म,
समई गया रे,
की निर्मल धाम चली गया रे,
माता रेवा म मिली गया रे।।
ग्यारस का शुभ ब्रह्म महोरत,
खुल्ला वैकुण्ठ का द्वार,
राम नाम की नाव म बाबा,
हुई गया भवसी पार,
राम को नाम रटत रटत,
आखरी स्वास थमई गया रे,
संत शिरोमणि,
सिया राम बाबा,
ब्रह्म ज्योति म,
समई गया रे,
की निर्मल धाम चली गया रे,
माता रेवा म मिली गया रे।।
बाबा तमरी महिमा गांव,
सदा नर्मदा को घाट,
धन्य भूमि या पावन हुई गई,
अखंड रामायण पाठ,
अपणा निमाड़ बरस्यो लाड़,
भक्ति की ज्योत,
जलई गया रे,
संत शिरोमणि,
सिया राम बाबा,
ब्रह्म ज्योति म,
समई गया रे,
की निर्मल धाम चली गया रे,
माता रेवा म मिली गया रे।।
मोह माया सी कोषों दूर,
असो संत मिल नी दुबारा,
राम भक्त हनुमान जसा,
सफल मनोरथ सारा,
कर्म प्रधान विश्व रचिराखा,
सबक बात बताई गया रे,
संत शिरोमणि,
सिया राम बाबा,
ब्रह्म ज्योति म,
समई गया रे,
की निर्मल धाम चली गया रे,
माता रेवा म मिली गया रे।।
नर्मदा किनार,
लुटई गया प्यार,
कसी महिमा प्यारी,
लगई गया रे,
संत शिरोमणि,
सियाराम बाबा,
ब्रह्म ज्योति म,
समई गया रे,
की निर्मल धाम चली गया रे,
माता रेवा म मिली गया रे।।
गायक – पं. बादल जोशी।
लेखक – सुभाष यादव टेमा।
9669907494