शरण में आया हूँ श्री राम,
तुम्हारी तारो ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो,
सुना है नाम पतित पावन,
हे राघव तारो ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो।।
गिद्ध अजामिल गणिका को,
प्रभु तुम ही उबारे थे,
वही हमारी अर्जी है,
प्रभु तारों ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो।।
विप्र सुदामा को केशव कहो,
तुम ही तारे थे,
मैं भी वही दुखारी हूं,
प्रभु तारों ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो।।
मध्य सभा में द्रुपद सुता की,
लाज बचाए थे,
अब की हमारी बारी है प्रभु,
प्रभु तारों ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो।।
देखी अधमता भिक्षु की यदि,
दूर जो भागोगे,
होगी हंसी तुम्हारी प्रभु जी,
प्रभु तारों ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो।।
शरण में आया हूँ श्री राम,
तुम्हारी तारो ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो,
सुना है नाम पतित पावन,
हे राघव तारो ना तारो,
प्रभु जी तारो ना तारो।।
स्वर – श्री राजन जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202








