सावण उत्तर लाग्यो,
भादवो घोड़ाला,
भगतां न चडग्यो चाव रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
कर दी कड़ाई थारे,
नाम गी घोड़ाला,
चैला न चढ़ग्यो चाव रै,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
सेवक आव थारे,
नाचता घोड़ाला,
खड़ृया रलहक लांबा कैस रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
किता लख आव थारे,
जातरी घोड़ाला,
किता लख बालूड़ा री माय रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
नौ लख आव थारै,
जातरी घोड़ाला,
दस लख बालूड़ा री माय रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
के धन मांग थारे,
जातरी घोड़ाला,
के धन बालूड़ा री माय रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
अन धन मांगे थारे,
जातरी घोड़ाला,
पुत्र बालूड़ा री माय रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
सावण उत्तर लाग्यो,
भादवो घोड़ाला,
भगतां न चडग्यो चाव रे,
बागड़ गा राजा,
लाग्या उमावा रे।।
गायक – सुन्दर मालिया नाथवाना।
प्रेषक – समुन्द्र लौट चेलासरी।
8107115329