सबल सिंह बोरी आणा पड़ैगा रै,
मेरे भवन,
हां के बाबा तेरा भेज्या बुलावा रै,
मेरे भवन।।
हां के बाबा यो तो मर्दां का खाड़ा रै,
मेरे भवन,
हां रोग नै यो दुखिया उजाड़या रै,
मेरे भवन,
हां के दर्द मीटाणा पड़ैगा रै,
मेरे भवन।।
हां जोड़े म्ह लेले मरघट की काली रै,
मेरे भवन,
हां पीर मेरे ठाले दौनाली रै,
मेरे भवन,
हां के मुंह खुलवाणा पड़ैगा रै,
मेरे भवन।।
हां खाड़े म्ह खेल्लै भुतां की टोली रै,
मेरे भवन,
हां पीर मेरे चढ़ ज्या नै डोली रै,
मेरे भवन,
हां रोग तनै खाणा पड़ैगा रै,
मेरे भवन।।
हां मेहर सिंह के बोल बोल पै रै,
मेरे भवन,
हां चावरीया होरया डामाडोल सै रै,
मेरे भवन,
हां के साथ निभाणा पड़ैगा रै,
मेरे भवन।।
सबल सिंह बोरी आणा पड़ैगा रै,
मेरे भवन,
हां के बाबा तेरा भेज्या बुलावा रै,
मेरे भवन।।
गायक व लेखक – प्रवीन चावरीया।
9050146563
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लणीया।
9996800660








