पूजई रह्या घर घर में,
संत सियाराम,
बैकुंठ बणी गई,
तेली भट्यान।।
अखंड रामायण को,
चले वहां पाठ,
दिन दुफार चाहे,
संझा होय रात,
पहेरों दे स्वयं वहां,
वीर हनुमान,
बैकुंठ बणी गई,
तेली भट्यान।।
माई रेवा की बाबा,
कर वहां पूजा,
अंतर नि कर चाहे,
जीव होय दूजा,
ख़ुट्यो नि कभी,
वहां को भंडार,
बैकुंठ बणी गई,
तेली भट्यान।।
जब तक रह्य बाबा,
तन म सांस,
दास रविन क थारा,
चरणों की आस,
काटी दीजो बाबा,
म्हारा अंतः का जाळ,
बैकुंठ बणी गई,
तेली भट्यान।।
पूजई रह्या घर घर में,
संत सियाराम,
बैकुंठ बणी गई,
तेली भट्यान।।
गायक – रवींद्र बिरला भुलगाँव।
(खरगोन) 7447078985