महीनों भादव रो आयो,
यो पर्व पर्युषण लायो,
पर्व पर्युषण आयो रे,
सबके मन को भायो,
यो कर्म खपावण आयो,
घर घर में आनंद छायो,
हो पर्यूषण आयो रे,
जैनो रे मनडे भायो।।
तर्ज – बोली प्यारी लागे।
राहो में पलके बिछाकर,
कुमकुम का कलश भराओ,
सखियाँ मंगल गावो थे,
तोरण द्वार बंधाओ,
झालर शंख बजाओ,
प्रभु को ह्रदय बसाओ,
हो पर्यूषण आयो रे,
जैनो रे मनडे भायो।।
तपस्या का ठाट लगाओ,
भक्ति रा भाव जगाओ,
वीर प्रभु की वाणी सुनकर,
जीवन धन्य बनाओ,
कर्मो को अब हराओ,
तप की ज्योत जगाओ,
हो पर्यूषण आयो रे,
जैनो रे मनडे भायो।।
मन का बेर मिटाओ ओर,
मैत्री भाव बढ़ाओ,
ख़मत खामणा करके,
संवत्सरी मनाओ,
“दिलबर” थांसु बोले,
थे धर्म ध्वजा फरकाओ,
हो पर्यूषण आयो रे,
जैनो रे मनडे भायो।।
महीनों भादव रो आयो,
यो पर्व पर्यूषण लायो,
हो पर्व पर्यूषण आयो रे,
सबके मन को भायो,
यो कर्म खपावण आयो,
घर घर में आनंद छायो,
हो पर्यूषण आयो रे,
जैनो रे मनडे भायो।।
गायिका – श्रेया रांका (जैन) भीलवाड़ा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365