निमाड़ का तो,
संत सिंगाजी बाबा,
निर्गुण वाणी बोल्या हो,
निर्गुण वाणी बोल्या संत होन,
अमीरस वाणी बोल्या हो।।
कलयुग में तो पगल्या पुजाया,
जगमग ज्योत जलाई हो,
जगमग ज्योत जलाई संत होन,
हिल मील ज्योत जलाई हो।।
खजुरी में तो जन्मया बाबा,
गवलई घर अवतारी हो,
बाबा भीमा का पुत्र कहाया,
माता गउर न झूलाया हो।।
शरद पूर्णिमा को मेलो लागे,
आवे नर और नारी हो,
आवे नर और नारी संत होन,
आवे नर और नारी हो।।
निमाड़ का तो,
संत सिंगाजी बाबा,
निर्गुण वाणी बोल्या हो,
निर्गुण वाणी बोल्या संत होन,
अमीरस वाणी बोल्या हो।।
गायक – जितेन्द्र जी गवली।
प्रेषक – नितेश सिंह राठौड़।
7722816303