नर तेरी कंचन जैसी काया,
भजन बिन खाली खोखा रे।।
माणक खोया फिर तू रोया,
मन नही रोका रै,
बाम चाम निपट जवानी,
देय गयी धोका रै,
नर थारी कंचन जेसी काया,
भजन बिन खाली खोखा रे।।
गुरू जगावै क्यू नही जागे,
जीवन धोका रै,
मानुष तन अनमोलक हिरा,
खो दिया मोका रै,
नर थारी कंचन जेसी काया,
भजन बिन खाली खोखा रे।।
ईंद्रिया थक गयी कमरिया लुल गयी,
नारी थारी दे गयी धोका रै,
बेटा बोले मरे नही डाकी,
बिगाडे चोका रै,
नर थारी कंचन जेसी काया,
भजन बिन खाली खोखा रे।।
अब भी चेत जा राम ने सिमरले,
शब्द अनभव का रै,
चेतन रिशी राम भज्या से,
तीर जावे नोका रै,
नर थारी कंचन जेसी काया,
भजन बिन खाली खोखा रे।।
नर तेरी कंचन जैसी काया,
भजन बिन खाली खोखा रे।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।