म्हारो सब कुछ सांवरिया तू,
तेरो ही आधार है,
यूं ही नहीं थाने दुनियां बोले,
बाबा लखदातार है।।
जद सू थारी चौखट पाई,
तब से मौज उड़ावा हाँ,
दुनियादारी भूल्या म्हें तों,
थारा ही गुण गाँवा हाँ,
कोई ना भावे म्हाने इब तों,
तू सांचो दिलदार है,
म्हारो सब कुछ साँवरिया तु,
तेरो ही आधार है।।
जद भी विपदा म्हां पर आवैं,
तू पहले तैयार खड्यो,
सगला बात बनाबैं रकम की,
सबसे पहले श्याम लड्यो,
दुनियां झूठी तू ही सांचो,
म्हारों लखदातार है,
म्हारो सब कुछ साँवरिया तु,
तेरो ही आधार है।।
थारी कृपा से सब कुछ चालें,
महाने थारी आस है,
हर पल तू तो सागे चालें,
यो म्हाने आभास है,
दो “विश्वास” है म्हानें पूरो,
तू म्हारो करतार है,
म्हारो सब कुछ साँवरिया तु,
तेरो ही आधार है।।
म्हारो सब कुछ सांवरिया तू,
तेरो ही आधार है,
यूं ही नहीं थाने दुनियां बोले,
बाबा लखदातार है।।
लेखक – विनय माटोलिया जी।
प्रेषक – विश्वास शर्मा।








