म्हारा गिरधर लाल,
थारो नचायो नाचूं मैं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
थारे घर में रहूं निरंतर,
थारो ही हाट चलाऊं,
थारे धन से थारे जन की,
सेवा टहल बजाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
ज्या रंग रा कपड़ा पहिरावे,
वैसो ही स्वांग बनाऊं,
जैसा बोल बुलावे मुख से,
वैसी ही बात सुनाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
रुखा सुखा जो कछु देवें,
थारे ही भोग लगाऊं,
खीर परस या छाछ राबड़ी,
सबड प्रेम से खाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
घर का प्राणी कयो ना माने,
मन मन खुशी मनाऊं,
थारे इस मंगल विधान में,
मैं क्यों टांग अडाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
जो तू ठोकर मार गिरावे,
लकड़ी ज्यूं गिर जाऊं,
जो तू माथे ऊपर बिठावे,
तो भी ना शरमाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
कोस हजार पकड़ ले जावे,
दौड़ो दौड़ो जाऊं,
जो तू आसन देकर बिठावे,
गोडो नाही हिलाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
जो तू तन के रोग लगावे,
ओढ़ सिरख सो जाऊं,
जो तू काल रूप बन आवे,
लपक गोद में आऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
उल्टा सुल्टा जो कुछ करले,
मंगल रूप लखाऊं,
थारी मन चाही में प्यारा,
अपनी चाह मिलाऊं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
म्हारा गिरधर लाल,
थारो नचायो नाचूं मैं,
म्हारा नटराजा,
थारो नचायो नाचूं रे।।
Singer – Shri Indresh Upadhyay Ji
Upload – Khemchand Kaushik
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