म्हारा भला भाग खुल जाता,
म्हारा सांवरा,
मंडफिया में म्हारो घर होतो,
मारा फुट्या करम खुल जाता,
मारा संवरा,
मंडफिया मे मारो घर होतो।।
मैं सूबे शाम की आरती मे,
अनिटैम हजिर होतो,
थाकि भोली सी सूरतिया सांवरा,
देख देख राजी होतो।।
थाने माणक मोती पुष्प कमल सु,
रोज सांवरा सजातो,
थारे नवा नवा कपड़ा सेठ संवरा,
दर्जी सु मु सिलवातो।।
थारी सेवा चाकरी मे सांवरिया,
कोई भूल मु ने रकतो,
गणी बड़ी कोनी दिमांड सांवरा,
जोड़ी भाया की बनी राको।।
तूने लख चौरासी जीव तारने,
मनक जीव दियों छोको,
तुई बनावे तुई बिगाड़े,
सेठ साँवरा तु मोटो।।
माया की जुगड़ी गजब बणाइ,
कोई बात को ना टोटो,
अरे जगत पिता पालन हारा मारे,
एक आसरो हे थाको।।
भोला गुजर का भाग खुल्या,
जद सपना मे दर्सन दीना,
वो भला पधारीया घर गुजर के,
मंडफिया मे धनी बिराज्या।।
धना भगत का बेच्या तुमडा,
हिरा मोती बरसाया,
अरे गणा गरिबा ने साँवरिया,
पल भर मे हि थे तारया।।
देव दीवानो दिलखुश गावे,
सेठ सांवरा सुनलीजो,
अरे लिखे लेखनी विष्णु रायला,
भजन सुनावे संवरा को।।
म्हारा भला भाग खुल जाता,
म्हारा सांवरा,
मंडफिया में म्हारो घर होतो,
मारा फुट्या करम खुल जाता,
मारा संवरा,
मंडफिया मे मारो घर होतो।।
गायक – दिलखुश कुमावत।
प्रेषक – शंभू कुमावत दौलतपुरा।
9981101560