मै आरती तेरी गाऊं,
माँ उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
माँ मोक्षदायिनी क्षिप्रा।।
तर्ज – मैं आरती तेरी गाँउ ओ केशव।
महांकाल को प्यास लगी जब,
विष्णु की उंगली से निकली,
महांकाल की प्यास बुझाएँ,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
मै आरती तेरी गाऊं,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा।।
क्षिप्रा उद्गम है तेरा,
उज्जैनी में माँ का डेरा,
भक्तों को मोक्ष दिलावे,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
मै आरती तेरी गाऊं,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा।।
सिंहस्थ में माँ क्षिप्रा में,
जो जन कोई डुबकी लगावे,
जीवन को सफल बनावे,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
मै आरती तेरी गाऊं,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा।।
रामघाट पर मैया,
माँ आरती तेरी होवे,
जन-जन को पार लगावे,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
मै आरती तेरी गाऊं,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा।।
भक्तन मिल आरती गावे,
और ‘सत्य’ शिवम् को ध्यावे,
वो मनवांछित फल पावे,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
मै आरती तेरी गाऊं,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा।।
मै आरती तेरी गाऊं,
माँ उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
उत्तरवाहिनी क्षिप्रा,
माँ मोक्षदायिनी क्षिप्रा।।
गायक – दक्ष गोथरवाल।
रचयिता – डॉ. सतीश गोथरवाल ‘सत्य’।
8959791036