कटती खेजड़ियो की,
सुन लो पुकार सज्जनों,
पेड़ पोंधे है,
धरती का श्रृंगार सज्जनों।।
बिश्नोई अमृता और पति रामोजी,
आशु रत्ना भागु की बलिदानी,
मर के भी खेजड़ी,
बचाई सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
तेजाजी भाला और खेतेश्वर माला,
जंभेश्वर राजेश्वर बन आए है ग्वाला,
हमें सत्य पर चलना,
सिखाया सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
ब्राह्मण क्षत्रिय और जैन भी आओ,
सब मिल आओ खेजडिया बचाओ,
अहिंसा का पाठ,
पढ़ा दो सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
सोलर कंपनी की है तानाशाही,
करती खूब खेजडिया कटाई,
धरती को बंजड,
बनती सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
खूब की है रैली और जारी है धरना,
पर्यावरण के लिए पीछे मत हटना,
जयपुर पर डेरा,
डालो सजनो,
दिल्ली संसद पर डेरा,
डालो सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
बेहरा है नेता और लंगड़ा कानून,
मौज करें नेता और जनता मजबूर,
किए वादे याद,
दिला दो सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
पेड़ फल भी देता और देता है छाया,
लाख पक्षियों का है आशियाना,
अशोक पंडित यह दर्द,
सुनाता सज्जनों,
कटतीं खेजड़ियों की,
सुन लो पुकार सज्जनों।।
कटती खेजड़ियो की,
सुन लो पुकार सज्जनों,
पेड़ पोंधे है,
धरती का श्रृंगार सज्जनों।।
लेखक और गायक – अशोक पंडित फीच।
9166382292