करके कोई बहाना,
हे अंबे भक्तजन को,
अपनी शरण लगाना,
अपनी शरण लगाना।।
तर्ज – मौसम है आशिकाना।
दर्शन की प्यासी अखियां,
कब से तरस रही है,
कर दो दया भवानी,
अखियां बरस रही है,
बस एक तेरा दर है,
संसार में ठिकाना,
अपनी शरण लगाना,
करके कोईं बहाना।।
कबसे भटक रही हूँ,
इस मतलबी जहां में,
दिखता नहीं है कुछ भी,
जाऊं तो अब कहाँ मैं,
मेरा हाथ थाम कर माँ,
मुझे रास्ता दिखाना,
अपनी शरण लगाना,
करके कोईं बहाना।।
तेरी महिमा है निराली,
जगदम्बे शेरोवाली,
जो भी दर पे तेरे आया,
लौटा कभी ना खाली,
उसे अपना ध्यान देकर,
हर कष्ट को मिटाना,
अपनी शरण लगाना,
करके कोईं बहाना।।
करके कोई बहाना,
हे अंबे भक्तजन को,
अपनी शरण लगाना,
अपनी शरण लगाना।।
Singer – Ankita Mishra
Lyrics – Pushkar Kumar