कैसे जिए हम रघुवर,
तुम्हारे बिना,
मेरा मन ही ना माने,
तुम्हारे बिना।bd।
मेरे पापों का कोई,
ठिकाना नहीं,
तुम्हरी करुणा का कोई,
बहाना नहीं,
मुझे दर्शन दे,
अवगुण निहारे बिना,
मेरा मन ही ना माने,
तुम्हारे बिना।bd।
मुझे प्रीत की रीत,
सीखा दो पिया,
अपनी यादों में रोना,
सीखा दो पिया,
जीवन नीरस है,
अखियों के तारे बिना,
मेरा मन ही ना माने,
तुम्हारे बिना।bd।
सारे पतितों के पतवार,
तुम ही तो हो,
दीन दुखियों की सरकार,
तुम ही तो हो,
अब मैं जाऊं कहाँ,
तुम्हरे द्वारे बिना,
मेरा मन ही ना माने,
तुम्हारे बिना।bd।
बसे नैनो में प्यारी,
सुरतिया तेरी,
नाचे ह्रदय में प्यारी,
मूरतिया तेरी,
प्राण व्याकुल है,
प्राणों के बिना,
मेरा मन ही ना माने,
तुम्हारे बिना।bd।
कैसे जिए हम रघुवर,
तुम्हारे बिना,
मेरा मन ही ना माने,
तुम्हारे बिना।bd।
स्वर – श्री कृष्णचन्द्र जी शास्त्री।








