काई का गुरूजी तंबूरा बनाया देसी भजन लिरिक्स

काई का गुरूजी तंबूरा बनाया देसी भजन लिरिक्स

काई का गुरूजी तंबूरा बनाया,
तंबूरा बनाया,
काई का बनाया मंजीरा,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



काया रे गढ़ रा तंबूरा बनाया,

तंबूरा बनाया,
सत रे धरम रा मंजीरा,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



काई का गुरु जी तार चढ़ाया,

तार चढ़ाया,
काई का रूपाया गाडा मोरना,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



पांच तत्व रा तार चढ़ाया,

तार चढ़ाया,
मन का रूपाया गाडा मोरना,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



टूटोडी नाव दाता समदा में राली,

समदा में राली,
कोन पुरुष वामे बैठे,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



सिल संतोक ने बेठन वाला,

बैठन वाला,
अलख पुरूष वाने हाके,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



गादी ओ बैठ जति गोरख बोल्या,

गोरख बोल्या,
के गया उगम वाली वाणी,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।



काई का गुरूजी तंबूरा बनाया,

तंबूरा बनाया,
काई का बनाया मंजीरा,
ओ साधा जी,
हिल मिल रहना भाया,
हस मुख रहना भाया,
के गाया गम वाली वाणी,
ओ साधा जी।।

प्रेषक – सोहन लाल बुनकर।
8003131735

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