कब आओगे लाज मेरी,
 लूट जाएगी क्या तब आओगे।
 तर्ज – देर ना हो जाए कहीं।
श्लोक – सभा में द्रोपती रो रो के, 
 पुकारे आओ,
 कहाँ छुपे हो प्रभु, 
 नन्द दुलारे आओ,
 लाज अबला की, 
 लूटी जा रही है मन मोहन,
 भक्तवत्सल प्रभु,
 निर्बल के सहारे आओ।
कब आओगे,
 कब आओगे कब आओगे,
 लाज मेरी लूट जाएगी,
 क्या तब आओगे,
 देर ना हो जाए कहीं,
 देर ना हो जाए,
 आजा रे लाज ना मेरी लूट जाए,
 देर क्यूं लगाए श्याम,
 देर क्यूं लगाए।।
सुना है लाज तुमने, 
 कितनो की बचाई है,
 और बिगड़ी भी सुना,
 लाखों की बनाई है,
 देर ना हो जाए कहीं,
 देर ना हो जाए,
 आजा रे लाज ना मेरी लूट जाए,
 देर क्यूं लगाए श्याम,
 देर क्यूं लगाए।।
जब भक्त की तेरे लाज गई,
 तब क्या होगा फिर आने से,
 तब क्या होगा फिर आने से,
 जब खेती सुख गई, 
 तो क्या होगा अमृत बरसाने से,
 देर ना हो जाए कहीं,
 देर ना हो जाए,
 आजा रे लाज ना मेरी लूट जाए,
 देर क्यूं लगाए श्याम,
 देर क्यूं लगाए।।
अब तो अपने सभी हो गए पराए,
 बैठे सब है यहाँ सर को झुकाए,
 दुशाशन खींचे मेरी साड़ी सभा में,
 दुशाशन खींचे मेरी साड़ी सभा में,
 इज्जत मेरी बचे ना बचाए,
 सारी दुनिया के आगे बदनाम मोहन,
 सारी दुनिया के आगे बदनाम मोहन,
 हो जाओगे,
 मैं जान दे दूंगी जो तुम नहीं आओगे,
 देर ना हो जाए कहीं,
 देर ना हो जाए,
 आजा रे लाज ना मेरी लूट जाए,
 देर क्यूं लगाए श्याम,
 देर क्यूं लगाए।।
अब तो होता नहीं सबर आजा,
 लेने द्रोपती की खबर आजा,
 ‘शर्मा’ बेचेन है दर्शन के लिए,
 देर से ही मगर आजा,
 दुःख की घडी है आजा,
 विपदा पड़ी है आजा,
 नैया भंवर में मेरी,
 आकर पड़ी है आजा,
 देर ना हो जाए कहीं,
 देर ना हो जाए,
 आजा रे लाज ना मेरी लूट जाए,
 देर क्यूं लगाए श्याम,
 देर क्यूं लगाए।।
गव्वो की कसम है,
 तुझे ग्वालों की कसम है,
 राधा की कसम है,
 तुझे रुक्मणि की कसम है,
 आजा के तेरे भक्तो की कसम है,
 देर ना हो जाए कहीं,
 देर ना हो जाए,
 आजा रे लाज ना मेरी लूट जाए,
 देर क्यूं लगाए श्याम,
 देर क्यूं लगाए।।
आजा ओ मोहन तेरी,
 बहना पुकारती है,
 आजा ओ मोहन तेरी,
 बहना पुकारती है,
 बहना पुकारती है,
 बहना पुकारती है,
 लाज बचा जा तेरी,
 बहना पुकारती है,
 सुन के पुकार श्याम आए है,
 लाज बहना की वो बचाए है,
 थक गया दुष्ट दुशाशन तो भी,
 ढेर साड़ी को वो लगाए है,
 सुन के पुकार श्याम आए है,
 लाज बहना की वो बचाए है।।
			






