जब जब मेरे दरवाजे पर,
दस्तक दी है दुखों ने,
श्याम ने देखा एक नजर और,
श्याम ने देखा एक नजर और,
बिखर गए वो टुकड़ो में।bd।
दुःख बोला अंदर आऊंगा,
आया समय अब मेरा है,
श्याम ने बोला लौट जा वापस,
अंदर बच्चा मेरा है,
भीतर जा पाएगा तू ये,
भीतर जा पाएगा तू ये,
सोचना भी ना सपनों में,
जब जब मेरें दरवाजे पे,
दस्तक दी है दुखों ने।bd।
श्याम भजन है सांसे मेरी,
श्याम नाम ही ढाल मेरा,
मैं खुद की क्यों परवाह करू जब,
रखता है ये खयाल मेरा,
श्याम भरोसे ‘कमल’ जो जीते,
श्याम भरोसे ‘कमल’ जो जीते,
रहती हंसी उन मुखड़ों पे,
जब जब मेरें दरवाजे पे,
दस्तक दी है दुखों ने।bd।
जब जब मेरे दरवाजे पर,
दस्तक दी है दुखों ने,
श्याम ने देखा एक नजर और,
श्याम ने देखा एक नजर और,
बिखर गए वो टुकड़ो में।bd।
गायक – संजय मित्तल जी।