जब चाहेगा सांवरा,
तब तुझे बुलाए,
लाख जतन करले पर,
खाटू पहुंच न पाये,
जब चाहेगा साँवरा,
तब तुझे बुलाए,
साँवरा साँवरा साँवरा।।
अहलावती के लाल,
तेरी महिमा है न्यारी,
पांडव कुल के पुत्र,
तीन बाणों के धारी,
तेरी महिमा को सुनके,
जो खाटू आए,
जब चाहेगा साँवरा,
तब तुझे बुलाए,
साँवरा साँवरा साँवरा।।
श्याम प्रभु एक बार,
तेरा दर्शन मिल जाए,
मन को चैन ये बाग,
मेरा फिर से खिल जाए,
हार के आया हु बाबा,
तू जीत दिलाए,
जब चाहेगा साँवरा,
तब तुझे बुलाए,
साँवरा साँवरा साँवरा।।
‘अभिलाष’ है चरणों का सेवक,
सुन अर्जी मेरी,
दूर करो दुख आया,
बाबा शरण में तेरी,
सबकी नैया भव सागर से,
पार लगाए,
जब चाहेगा साँवरा,
तब तुझे बुलाए,
साँवरा साँवरा साँवरा।।
जब चाहेगा सांवरा,
तब तुझे बुलाए,
लाख जतन करले पर,
खाटू पहुंच न पाये,
जब चाहेगा साँवरा,
तब तुझे बुलाए,
साँवरा साँवरा साँवरा।।
लेखक एवं गायक – अभिलाष तिवारी।
ग्वालियर – 7000400014