हे कुलदेवी हे जगजननी,
इतनी किरपा कर देना,
जिस घर में मेरी बेटी जाए,
वो घर खुशियों से भर देना।।
तर्ज – फूल तुम्हे भेजा है।
जितना मैं इसको लाड लडाऊं,
कौन करेगा लाड वहां,
गलती अगर हो जाएगी इससे,
कौन करेगा माफ वहां,
उस घर के सारे लोगों को,
इस घर जैसा कर देना,
हे कुल देवी हे जग जननी,
इतनी किरपा कर देना।।
जीवनसाथी के संग मिलकर,
अपना घर आबाद करे,
प्यार मिले ससुराल में इतना,
बाबुल को ना याद करे,
रीत रस्म उस घर की सारी,
निभा सके ये वर देना,
हे कुल देवी हे जग जननी,
इतनी किरपा कर देना।।
स्वर्ग समान वो घर होता है,
जिस घर में जनमें बेटी,
बिन बोले ही घरके सुखदुख,
पलमें समझती है बेटी,
अम्बरीष मांगे बेटियों के घर,
रोज दिवाली कर देना,
हे कुल देवी हे जग जननी,
इतनी किरपा कर देना।।
हे कुलदेवी हे जगजननी,
इतनी किरपा कर देना,
जिस घर में मेरी बेटी जाए,
वो घर खुशियों से भर देना।।
गायक / लेखक – अम्बरीष कुमार।
9327754497