हर हाल में खुश रहना,
संतो से सिख जाए,
महफ़िल में जुदा रहना,
संतों से सीख जाए।।
सुख दुख में हंसना रोना,
है काम कायरों का,
दोनों में मुस्कुराना,
संतो से सिख जाए,
महफ़िल में जुदा रहना,
संतों से सीख जाए।।
झंझट से भाग जाना,
सब लोग बताते है,
झंझट से बच के रहना,
संतो से सिख जाए,
महफ़िल में जुदा रहना,
संतों से सीख जाए।।
मरने के बाद मुक्ति,
सब लोग बताते है,
जीते जी मुक्त रहना,
संतो से सिख जाए,
महफ़िल में जुदा रहना,
संतों से सीख जाए।।
दुनिया के लोग दौलत,
पाकर के मुस्कुराते,
पर भिक्षु बनके रहना,
संतो से सिख जाए,
महफ़िल में जुदा रहना,
संतों से सीख जाए।।
हर हाल में खुश रहना,
संतो से सिख जाए,
महफ़िल में जुदा रहना,
संतों से सीख जाए।।
स्वर – श्री राजन जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202
 
			








 
