हमारे गुरु पूरण दातार,
अभय दान दीनन को दीन्हे,
कीन्हे भवजल पार,
हमारें गुरु पूरण दातार।।
जनम जनम के बंधन काटे,
कीन्हे यम से निकार,
रंकहुं ते सो राजा कीन्हे,
हरि धन दियो अपार,
हमारें गुरु पूरण दातार।।
देवे ज्ञान भक्ति पुनि देवे,
योग बतावन हार,
तन मन वचन सकल सुखदायी,
हृदय बुद्धि उजियार,
हमारें गुरु पूरण दातार।।
सब दुखभंजन पातकभंजन,
रंजन ध्यान विचार,
सज्जन दुर्जन जो चल आवे,
एक ही दृष्टि निहार,
हमारें गुरु पूरण दातार।।
आनन्द रूप स्वरुपमयी है,
लिप्त नहीं संसार,
‘चरणदास’ गुरु सहजो के रे,
नमो नमो बारम्बार,
हमारें गुरु पूरण दातार।।
हमारे गुरु पूरण दातार,
अभय दान दीनन को दीन्हे,
कीन्हे भवजल पार,
हमारें गुरु पूरण दातार।।
Singer – Manish Khullar
https://youtu.be/jGkdwLkh6zI