गौरी गौरांगी मैया,
शिव की अर्धांगी मैया।
श्लोक – सर्व स्वरूपे सर्वेशे,
सर्वशक्ति समन्वितेः,
भयेभ्यस्त्राही नौ देवी,
दुर्गे देवी नमोस्तुते।।
गौरी गौरांगी मैया,
शिव की अर्धांगी मैया,
मिलके उतारे तेरी आरती,
जगदम्बे मिलके उतारे तेरी आरती,
चिंता का नाम रहे ना,
आधा कोई काम रहे ना,
करके कृपा जो तू निहारती,
गौरी गौरांगी मईया,
शिव की अर्धांगी मैया,
मिलके उतारे तेरी आरती
जगदम्बे मिलके उतारे तेरी आरती।।
श्लोक – नमस्तेस्तु महारौद्रे,
महाघोर पराक्रमे,
महाबले महोत्साहे,
महाभयविनाशिनि।।
तूने असुरो का संघार किया,
सुर गण का पक्ष सदैव लिया,
यं यं चिन्तयते कामं,
तं तं प्राप्नोति निश्चितम्,
हमको ये वचन तूने स्वयं दिया,
हर दुःख हर लेने वाली,
मनवांछित देने वाली,
भक्तो की विनती ना टालती,
गौरी गौरांगी मईया,
शिव की अर्धांगी मैया,
मिलके उतारे तेरी आरती,
जगदम्बे मिलके उतारे तेरी आरती।।
श्लोक – या देवी सर्व भूतेषु,
मात्ररूपेण संस्थिता,
नमः स्तस्यै नमः स्तस्यै,
नमः स्तस्यै नमो नमः।।
घट घट की तू जाने,
घट घट वास करे,
मैया घट घट वास करे,
उसकी आस ना तोड़े,
उसकी आस ना तोड़े,
जो विश्वास करे,
ॐ जय अम्बे गौरी।।
जय अम्बे गौरी,
मैया जय अम्बे गौरी,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर,
विनय करे तोरी,
ॐ जय अम्बे गौरी।।
आगम निगम ना जाने,
भेद तेरो माता,
कोई भेद तेरो माता,
सहज भाव जो ध्यावे,
सहज भाव जो ध्यावे,
सहज तोहे पाता,
ॐ जय अम्बे गौरी।।
गौरी गौरांगी मईया,
शिव की अर्धांगी मैया,
मिलके उतारे तेरी आरती,
जगदम्बे मिलके उतारे तेरी आरती।।
स्वर- साधना सरगम और साथी।








