गणपति देव मनाऊं,
दोहा – विघ्न हरण मंगल करण,
गोरी नंद गणेश,
रिद्धि सिद्धी सहित पधारजो,
मारा पूरण कीजो हमेंश।
सुंडाला दुख भंजना,
ओर सदा जो बालक भेष,
सारो पहली सिमरियो,
श्री गोरी नंद गणेश।
स्वर दो माता सरस्वती,
ओर गुरुवर दिजों ज्ञान,
अन्न दो माता धरतरी,
जल बरसाओ इंद्र भगवान।
कैसे करु में वंदना,
प्रभु ना स्वर ना आवाज,
आज परीक्षा हे मेरी,
लाज रखो गणराज।
गणपति देव मनाऊं,
रे मनाऊं,
जी मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
मूल कमल बीच चंदन चौकी,
मूल कमल बीच चंदन चौकी,
गणपति ने बैठाऊ,
रे बैठाऊ मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
घिस घिस चंदन और अरगचा,
घिस घिस चंदन और अरगचा,
गणपति तिलक लगाऊ,
रे लगाऊ मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
चुन चुन कलिया हार बनावा,
चुन चुन कलिया हार बनावा,
गणपति ने पेराऊ,
रे पेराऊ मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
धुप ध्यान नैवेद्य आरती,
धुप ध्यान नैवेद्य आरती,
लड़ुवन भोग लगाऊं,
रे लगाऊ मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
तानसेन देवा तेरो यश गावे,
तानसेन देवा तेरो यश गावे,
चरणा में शीश निवाऊँ,
निवाऊँ मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
गणपति देव मनाऊं,
रे मनाऊं,
जी मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ,
रे मनाऊं मैं तो,
गणपति देव मनाऊँ।।
गायक – श्री रामकुमार जी मालुनि।
प्रेषक – वेद प्रकाश मीणा।
9829928023