एक वृक्ष की दो डाली,
पर किस्मत जुदा जुदा है,
एक डाली जाए हवन में,
एक से जल रही चिता है।।
देखे – एक झोली में फूल भरे है।
एक पत्थर के दो टुकड़े,
पर किस्मत जुदा जुदा है,
एक बन शंकर जी पूजते,
एक सीढ़ी में लगा है।।
एक पिता के दो बेटे,
पर किस्मत जुदा जुदा है,
एक झूले पालने में,
एक पत्तों पे पड़ा है।।
एक पिता की दो संताने,
पर किस्मत जुदा जुदा है,
एक मात पिता को निकाले,
एक श्रवण कुमार बना है।।
एक गुरुकुल के दो शिष्य,
पर किस्मत जुदा जुदा है,
एक द्वारिकाधीश कहाए,
एक दरिद्र सुदामा बना है।।
एक वृक्ष की दो डाली,
पर किस्मत जुदा जुदा है,
एक डाली जाए हवन में,
एक से जल रही चिता है।।
Singer – Prem Prakash Ji Dubey
Upload By – Jagdish
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