एक बावरी जब,
पनघट पे चली,
देखती हर जगह,
ढूँढ़ती हर गली,
ढूँढ़ती हर जगह,
देखती हर गली,
मुरली की धुन सुनी,
मुरली वाला नही।।
बहकाये चले जा रहा ये जहाँ,
इनकी बातों में आई मै भी कहाँ,
अब तो करती हूँ रो रो के फरियाद मैं,
आये सामने जो है मेरी याद में,
एक तरफ है जहाँ,
एक तरफ है पिया,
जो पिया न मिले तो कुछ भी नही,
एक बाँवरी जब,
पनघट पे चली।।
ये निगाहें तलाशे उन्ही के निशा,
ढूंढे पनघट के प्रेमी छुपे हो कहाँ,
प्यारी कालिंदी तुमको,
हर एक शाम में,
आओ मोहन जरा तुम,
मेरे सामने,
तुम न आये तो ये दम,
निकल जायेगा,
फिर सांसे मेरी ये,
चली न चली,
एक बाँवरी जब,
पनघट पे चली।।
लहराती हुई घुँघरली लटे,
पीली पीतांबरी में हीरे जड़े,
कर में बांसुरी प्यारी सी,
कसते हुए,
टेडी चितवन अधरों से,
हंसते हुए,
आये प्रीतम लगाया मुझको गले,
ए सखी तू मेरी,
कोई गैर नहीं,
एक बाँवरी जब,
पनघट पे चली।।
एक बावरी जब,
पनघट पे चली,
देखती हर जगह,
ढूँढ़ती हर गली,
ढूँढ़ती हर जगह,
देखती हर गली,
मुरली की धुन सुनी,
मुरली वाला नही।।
Lyrics / Singer – Kishoridas Chetan
9691253244