दिन उगता ही लेऊँ साँवरा,
दिल स्यूं थारो नाम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे,
म्हारा अटक्या काम रे,
म्हारा अटक्या काम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे।।
म्हारी रोजी रोटी साँवरा,
थारे भरोसे चाले रे,
थारी मर्जी बिन तो जग में,
पत्तो भी ना हाले रे,
थारे नाम की माला फेरूँ,
रोज़ सुबह स्यूँ शाम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे।।
तू म्हारो आधार साँवरा,
तने छोड़ कठे जावाला,
थारी कृपा ना बरसी तो,
भूखा ही मर जावाला,
थारी अर्जी करतो हारयो,
म्हारी आंगली थाम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे।।
थे म्हारा अन्नदाता,
म्हें छोटो सो थारो दास रे,
छोटी सी झोपड़िया माहीं,
करके बैठ्यो आस रे,
आनो हो तो आजा साँसे,
होने लागी जाम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे।।
थारे सिवा निर्धन रे आँगन,
और कोई ना आवेलो,
दुनिया ने दुख दिया साँवरा,
याने तू ही मिटावेलो,
‘रतन राव’ गुण गावे लिखयो,
‘मस्तराम’ पैग़ाम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे।।
दिन उगता ही लेऊँ साँवरा,
दिल स्यूं थारो नाम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे,
म्हारा अटक्या काम रे,
म्हारा अटक्या काम रे,
कर दयो म्हारा सेठ साँवरा,
म्हारा अटक्या काम रे।।
गायक – रतन जी राव।
प्रेषक – सुरेंद्र बंसल हनुमानगढ़।
9414382209