चलो री सखी देख आये,
प्यारे रघुरैया,
प्यारे रघुरईया,
हाँ बाजत बधईयां,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
घर घर बंदनवार पताका,
वरणी ना जाये निकैया,
पुर नर नारी मगन होए गावत,
बाजत आनंद बजैया,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
राम लखन और भरत शत्रुघ्न,
सुन्दर चारों भैया,
कौशल्या कैकयी सुमित्रा,
पुनि पुनि लेत बलइयां,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
सुर नर मुनि जय जयकार करत है,
बरसत सुमन निकैया,
श्री दशरथ जु के आँगन में,
नाचे मस्त कवैया,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
अति पुनीत मधु मास लगन ग्रह,
वार योग समदैया,
मध्य दिवस में प्रकट भये है,
सभी के सुख दईया,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
सुन दशरथ नृप खोल खजाने,
मंगल द्रव्य भरैया,
लाल न्योछावर वसन लुटावै,
भूषण वसन जड़ैया,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
चलो री सखी देख आये,
प्यारे रघुरैया,
प्यारे रघुरईया,
हाँ बाजत बधईयां,
चलो री सखी देख आयें,
प्यारे रघुरैया।।
स्वर – मैथिली ठाकुर।
प्रेषक – पं देवेश शुक्ल।
9648837175