चाले चाले मारो सारो कारोबार,
सांवरियो राखे किरपा घणी।।
मंडफिया नगरी मोटो ठिकानों,
सांवरिया सेठ रो मोटो रावलों,
यो तो बाजे रे,
बाजे बाजे रे सेठा मे मोटो सेठ,
सांवरियों राखे किरपा घनी।।
सेठा को तू सेठ सावरों,
मैं भगत हु थारो बावराे,
थारा दर्शन,
थारा दर्शन आऊ दिन रात,
सांवरियों राखे किरपा घनी।।
नोट करोड़ा निकले भारी,
भगत घना आवे नर नारी,
जो भी मांगे मांगे,
यो तो मांगते ही झोली भर दे,
सांवरियों राखे किरपा घनी।।
चाले चाले मारो सारो कारोबार,
सांवरियो राखे किरपा घणी।।
गायक – भगवत सुथार।
प्रेषक – मनोज कुमार लोदवाल।
9694644257