व्यर्थ क्यों भटकता प्राणी सुबह से शाम रे
व्यर्थ क्यों भटकता प्राणी, सुबह से शाम रे, हरि नाम गा ले रे बन्दे, मिलेगा आराम रे, प्रभु नाम गा...
Read moreDetailsव्यर्थ क्यों भटकता प्राणी, सुबह से शाम रे, हरि नाम गा ले रे बन्दे, मिलेगा आराम रे, प्रभु नाम गा...
Read moreDetailsमानव तू है मुसाफिर, दुनिया है धर्मशाला, संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला।। तर्ज - मुझे इश्क़ है...
Read moreDetailsना लाया साथ कुछ बंदे, ना तेरे साथ जाएगा, मुट्ठी बांध कर आया, खाली हाथ जायेगा।। तर्ज - खिलौना जानकर...
Read moreDetailsकरो हरि का भजन प्यारे, उमरिया बीती जाती है।। तर्ज - दशा मुझे दीन की। पूरब शुभ कर्म कर आया,...
Read moreDetailsमुसाफिर जागते रहना, नगर में चोर आते है, जरा सी नींद गफलत में, झपट गठरी उठाते है, मुसाफिर जागतें रहना,...
Read moreDetailsजीवन चार दिनों का मेला, साथी सखा कोई चले ना, माया भी तेरे साथ रहे ना, उड़ जाए हँस अकेला,...
Read moreDetailsकरता है आदमी जो, ये बातें बड़ी बड़ी, कब टूट जाए क्या पता, साँसों की ये लड़ी, करता हैं आदमी...
Read moreDetailsजनम जिस दिन हुआ समझो, कभी तो मौत भी होगी, सुबह होने से पहले तय, है आगे रात भी होगी,...
Read moreDetailsना कर मान बंदेया, एक दिन मिट्टी में मिल जाना।। मिट्टी बिछा ले मिट्टी ओढ़ ले, मिट्टी का बना ले...
Read moreDetailsकहावत कर देती अहसास, इस ज़माने को, समय कर देता है मोहताज, दाने दाने को।। तर्ज - कोई पत्थर से...
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