रे मन प्रति स्वांस पुकार यही जय राम हरे घनश्याम हरे
रे मन प्रति स्वांस पुकार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे, तन नौका की पतवार यही, जय राम हरे घनश्याम...
Read moreDetailsरे मन प्रति स्वांस पुकार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे, तन नौका की पतवार यही, जय राम हरे घनश्याम...
Read moreDetailsना यूँ घनश्याम तुमको दुःख से, घबरा कर के छोडूंगा, जो छोडूंगा तो कुछ मैं भी, तमाशा कर के छोडूंगा,...
Read moreDetailsना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते है। दोहा - प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम...
Read moreDetailsमुझ पर भी दया की कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, कुछ दीनों के दुःख की लेलो खबर,...
Read moreDetailsना तो रूप है ना तो रंग है, ना तो गुणों की कोई खान है, फिर श्याम कैसे शरण में...
Read moreDetailsहे नाथ दयावानों के, सिरमौर बता दो, छोडूँ मैं भला आपको, किस तौर बता दो।। हाँ शर्त ये कर लो,...
Read moreDetailsक्या वह स्वभाव पहला, सरकार अब नहीं है, दीनों के वास्ते क्या, दरबार अब नहीं है।। या तो दयालु मेरी,...
Read moreDetailsभक्त बनता हूँ मगर, अधमों का हूँ सरताज भी, देखकर पाखंड मेरा, हंस पड़े ब्रजराज भी।। कौन मुझसे बढकर पापी,...
Read moreDetailsमेरा यार यशोदा, कुँवर हो चुका है, वो दिल हो चुका है, जिगर हो चुका है, मेरा यार यशोंदा, कुँवर...
Read moreDetailsतुमने घनश्याम, अधीनों को तारा होगा, तो कभी हमें भी तारने, का सहारा होगा।। हम जो मशहूर हैं पापी, तो...
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