ए पहली रे मनाऊ,
गणपत देव ने ओ शारदा,
दुजी रे मनाऊ,
आई मात ओ जे ए हा,
बिलाड़ो बलि राजा री,
नगरी सोवनी भाइडा,
जटे धर्यो हरि वामन,
अवतार ओ जे ए हा।।
ए दानवीर कहीजो,
सतयुग मायने बलि राजा,
बलिपुर में कहीजे,
थोरो राज ओ जे ए हा,
भक्त प्रह्लाद रा पोता,
लाडला ओ राजा बलि,
अमे विरोचन रा कहीजो,
थे तो लाल ओ जे ए हा।।
ए तीनों रे लोकों ने थेतो,
जीतीया ओ राजा बलि,
तीनो रे लोको में थोरो,
राज ओ जे ए हा,
ए कल्पवृक्ष ने थे तो,
लाविया स्वर्गा सु राजा,
एक बाण सु गंगा,
प्रगटाय ओ जे ए हा।।
ए बिलाड़ा पिचयाक पावन,
हो गयी राजा बलि,
अश्वमेध यज्ञ करीयो,
आप ओ जे ए हा,
बलशाली महादानी,
आप हो राजा बलि,
थर थर कांपे ओ,
ब्रह्माण्ड ओ जे ए हा।।
ए थर थर कांपे स्वर्ग,
लोक रा देवता राजा,
जद हरि लियो,
वामन अवतार ओ जे ए हा,
राजा रे बलि रे द्वारे,
आविया नारायण हरि,
तीन पग भूमि मांगी,
दान ओ जे ए हा।।
दोय पगा सु धरती,
आकाश नापीया नारायण हरि,
तीजोडो पग धर्यो,
बलि रे शीश ओ जे ए हा,
राजा रे बलि रे स्वर्गा,
जावतो रे देवता,
हरि भेज्यो पाताल,
लोक रे माय ओ जे ए हा।।
पिचयाक भाखर में थोरो,
देवरो म्हारा बलि राजा,
एडा रे महादानी ने,
प्रणाम ओ जे ए हा,,
*मनीष सीरवी* महीमा,
लिखे रे भाव सु भाया,
जोगाराम प्रजापत,
गुण गाय ओ जे ए हा।।
बिलाड़ो बलि राजा री,
नगरी सोवनी भाइडा,
जटे धर्यो हरि वामन,
अवतार ओ जे ए हा।।
गायक – जोगाराम जी प्रजापत।
लेखक – मनीष सीरवी।
रायपुर जिला ब्यावर राजस्थान।








