बेगा आवो थे बालाजी,
दोहा – थे सेवक श्री राम का,
मैं चरणों का दास,
लियो आसरो मैं आपरो,
तो पुरो म्हारी आस।
पुरो म्हारी आस,
मैं जाणूं कुछ नाय,
बलबुध्दि विधा देवो,
तो किज्यो म्हारी सहाय।
बेगा आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान,
जावे म्हारी शान,
घणो दुख पावे सारो जहान,
आवो थे सांवरिया,
दोड़या आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान।।
हाथ हाथ न खावण लाग्यो,
भटक रयो इन्सान,
घर घर कले मचावे,
बाबा कलयुग रो तूफान,
भ्रष्टाचार बदयो भारत में,
घटयो मीनख रो मान,
दोड़या आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान।।
मात पिता रो काण कायदो,
भूल्या मान सम्मान,
चोर उचंका बण्या नसेड़ी,
ना बोलण रो ज्ञान,
याद करां दुख दुणों आवे,
श्रवण सी सन्तान,
दोड़या आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान।।
धी बेटी न बली चढ़ाव,
धन लोभी इन्सान,
गर्भाघात कराव दुश्मन,
भूल्यो कन्यादान,
बुद्धि फोर दुख हरले बाबा,
महावीर हनुमान,
दोड़या आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान।।
पवन पुजारी शरण तिंहारी,
कल्पत करे बखान,
थे बजरंगी अरज सांभलो,
झट-पट करो निदांन,
रामदास बरवाली गावे,
पवन पुत्र बलवान,
दोड़या आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान।।
बेगा आओ थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान,
जावे म्हारी शान,
घणो दुख पावे सारो जहान,
आवो थे सांवरिया,
दोड़या आवो थे बालाजी,
बिगड़ी जावे म्हारी शान।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329
लेखक – रामदास बरवाली।








