बालाजी मेहन्दीपुर है सुहाना,
 वहाँ मिलता क्या है यह भक्तोँ ने जाना॥
 बालाजी … वहाँ मिलता …
(तर्ज :- जिन्दगी एक सफर है सुहाना)
बालाजी मेहन्दीपुर है सुहाना,
 वहाँ मिलता क्या है यह भक्तोँ ने जाना॥
 बालाजी … वहाँ मिलता …
चलते जाओ बाबा के नगर,
 दुखड़ोँ की तू परवाह न कर,
 मुस्कराते हुए तुम घर को आना॥१॥
 वहाँ मिलता … बालाजी …
मन्दिर की है शोभा बड़ी प्यारी,
 लाखोँ आते हैँ दर पे नर–नारी,
 चरणोँ मेँ झुकता सारा जमाना॥२॥
 वहाँ मिलता … बालाजी …
रहता है भण्डार बाबा का खुला,
 जिसने भी मांगा उसको ही मिला,
 तुम भी झोली अपनी फैलाना॥३॥
 वहाँ मिलता … बालाजी …
दु:खड़े अपने हनुमत को सुनाना,
 भेँट आँसूओँ की चरणोँ मेँ चढ़ाना,
 गीत भी ‘खेदड़’ के बाबा को सुनाना॥४॥
 वहाँ मिलता … बालाजी …
बालाजी मेहन्दीपुर है सुहाना,
 वहाँ मिलता क्या है यह भक्तोँ ने जाना॥
 बालाजी … वहाँ मिलता …
			







