आए सुदामा मिलने कृष्ण से,
पूछ रहे कर जोड़ के,
दौड़े आए कृष्ण मुरारी,
सिंहासन को छोड़ के।।
देख के हालत अपने सखा की,
कृष्ण के नैना नीर बहे,
पूछे कैसे हाल हुआ ये,
रोते रोते कृष्ण कहे,
नैना नीर से चरण धुलाए,
सारे बन्धन तोड़ के,
दौड़े आए कृष्ण मुरारी,
सिंहासन को छोड़ के।।
कैसे रहे तुम इस हालत में,
अपने हाल सुनाओ ना,
भाभी ने क्या भेंट है भेजी,
खोल के जरा दिखाओ ना,
खा रहे हैं तंदुल कान्हा,
पोटली उसकी खोल के,
दौड़े आए कृष्ण मुरारी,
सिंहासन को छोड़ के।।
कर रहे मनवार मित्र की,
राधा रुक्मण साथ हरि,
“नाथ गुलाब” कहे शरण पड़े की,
श्री कृष्ण ने पीर हरी,
“विनय” हमारे भाग्य बड़े है,
प्रीत श्याम से जोड़ के,
दौड़े आए कृष्ण मुरारी,
सिंहासन को छोड़ के।।
आए सुदामा मिलने कृष्ण से,
पूछ रहे कर जोड़ के,
दौड़े आए कृष्ण मुरारी,
सिंहासन को छोड़ के।।
गायक – संत श्री गुलाब नाथ जी महाराज।
लेखक – विनय तमोली लक्ष्मणगढ़।
9785064838