आरती अति पावन पुराण की,
धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।
देखे – श्री भागवत भगवान की है आरती।
महापुराण भागवत निर्मल,
शुक मुख विगलित निगम कल्प फल,
परमानन्द सुधा रसमय कल,
लीला रति रस रस निधान की,
आरतीं अति पावन पुराण की।।
कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि,
जन्म मृत्यु मध्य भव भय हारिनि,
सेवत सतत सकल सुख कारिनि,
सुमहौषधि हरि चरित गान की,
आरतीं अति पावन पुराण की।।
विषय विलास विमोह विनासिनि,
विमल विराग विवेक विकासिनि,
भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनि,
परम ज्योति परमात्म ज्ञान की,
आरतीं अति पावन पुराण की।।
परम हंस मुनि मन उल्लासिनि,
रसिक हृदय रस रास विलासिनि,
मुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि,
कथा अकिंचन प्रिय सुजान की,
आरतीं अति पावन पुराण की।।
आरती अति पावन पुराण की,
धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।
Singer – Indresh Ji Upadhyay
प्रेषक – पंडित गोविंद प्रसाद मिश्र।
सिकटा – 983790165