मार्ग दुशन्तर दौरो घणो रे,
दौहा – हद री लखै सो अवलिया,
बैहद लखै सो पीर,
हद बैहद दोनों लखै,
उनका नाम फकीर।
फीकर सभी ने खाग्यो,
फीकर करे सो पीर,
फीकर री फाकी करे,
उनका नाम फकीर।
मार्ग दुशन्तर दौरो घणो रे,
जोगिया बिरला हरिजन जाय।।
मुर्दे देश में जावणो रे जोगिया,
जिवतड़ा किण विध जाय,
उपर बैठया बरम बके रे जोगिया,
जीव भाव उरमाय,
मारग दुशन्तर दोरो घणो रे,
जोगिया बिरला हरिजन जाय।।
नही जगत स्यूं त्याग है रे जोगिया,
पकडयो कुछ भी नाय,
त्याग ग्रहण से रेवे परे रे जोगिया,
सौही निश्चय पद पाय,
मारग दुशन्तर दोरो घणो रे,
जोगिया बिरला हरिजन जाय।।
वैद शास्त्र उठे नहीं रे जोगिया,
किणरो अमल कमाय,
वो तो घर कहूं और है रे जोगिया,
आवे सो उण में समाय,
मारग दुशन्तर दोरो घणो रे,
जोगिया बिरला हरिजन जाय।।
चौथे पद पर मुरधनी रे जोगिया,
मुर्दा गांव बसाय,
मान राव उण देश रो रे जोगिया,
अन्य देश सूं नाय,
मारग दुशन्तर दोरो घणो रे,
जोगिया बिरला हरिजन जाय।।
मारग दुशन्तर दोरो घणो रे,
जोगिया बिरला हरिजन जाय।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329
प्रेषक – मनीष कुमार लौट चेलासरी।








