इश्क की आशिक जाने बात,
दोहा – लागी लागी सभी कैवे,
लागी नही लिगार,
लागी हरी रे नाम री,
बा होई कलेजा पार।
शब्दां मारया मर गया,
शब्दां छोडयो राज,
जिन जिन शब्द विचारिया,
जांरा सरिया काज।
इश्क की आशिक जाने बात,
सतगुरु बाण शब्द को मारयो,
घुम रयो दिन रात,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
गुंगा के मन सुपनो आयो,
सुत्यो सुरग में रात,
उठ सवेरे कयो नही जावे,
सैन करे प्रभात,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
अन्तर्गत की सबको कहुं,
सभी अभेदी साथ,
कर श्रृंगार बैराग भभूति,
प्रेम ठिकरो हाथ,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
दैश शहर घर बार तज्यूं गी,
कर प्रदेशी रो साथ,
डोरी लागी डोर ना टूटे,
जाणत दीनानाथ,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
निशदिन रमूं में हजूरी महलां,
कर निर्गुण की गाथ,
पान फुल अनुभव का किया,
गूंज घालूं गलहाथ,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
शब्द गूंज मे हिलमील रमियां,
होय हंस एक जात,
हरीराम है डाव मुक्ति को,
निर्भय रयो अख्यात,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
इश्क़ की आशिक जाणे बात,
सतगुरु बाण शब्द को मारयो,
घुम रयो दिन रात,
इश्क़ की आशिक जाणे बात।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329