एक दिन तो होगा जाना,
सरकार की गली में,
ये दिल हुआ दीवाना,
सरकार की गली में,
मुखड़ा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में,
चेहरा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में।।
आंखें तो देखने को,
पहले ही तड़पतीं थी,
अब दिल हुआ दीवाना,
सरकार की गली में,
इक रोज़ होगा जाना,
सरकार की गली में,
मुखड़ा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में।।
देने को कुछ नहीं है,
लेकिन ये देख लेगा,
एक दिन मुझे जमाना,
सरकार की गली में,
इक रोज़ होगा जाना,
सरकार की गली में,
मुखड़ा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में।।
कहीं सर्द गर्म रातें,
कहीं बेवजह बरसाते,
मौसम सदा सुहाना,
सरकार की गली में,
इक रोज़ होगा जाना,
सरकार की गली में,
मुखड़ा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में।।
एक दिन तो होगा जाना,
सरकार की गली में,
ये दिल हुआ दीवाना,
सरकार की गली में,
मुखड़ा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में,
चेहरा पड़ा दिखाना,
सरकार की गली में।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202