ऐ श्याम सुंदर हो कितने प्यारे,
हमें अभी ये पता नहीं है,
किए बहुत है प्रयास हमने,
किए बहुत है प्रयास हमने,
क्यों मुख से पर्दा हटा नहीं है,
ऐ श्यामसुंदर हो कितने प्यारें,
हमें अभी ये पता नहीं है।।
तर्ज – है जिंदगी कितनी खूबसूरत।
ना जाने कितने है पाप मेरे,
ना जाने कितने अपराध मेरे,
इसीलिए तुम मिले नहीं प्रभु,
इसीलिए तुम मिले नहीं प्रभु,
शायद मेरी यही सजा है,
ऐ श्यामसुंदर हो कितने प्यारें,
हमें अभी ये पता नहीं है।।
तुम्हारी छवि पे ए श्याम सुंदर,
न जाने कितने हुए दीवाने,
पता नहीं क्या कमाल है प्रभु,
पता नहीं क्या कमाल है प्रभु,
जो ‘अंकुश’ को दिखा नहीं है,
ऐ श्यामसुंदर हो कितने प्यारें,
हमें अभी ये पता नहीं है।।
ऐ श्याम सुंदर हो कितने प्यारे,
हमें अभी ये पता नहीं है,
किए बहुत है प्रयास हमने,
किए बहुत है प्रयास हमने,
क्यों मुख से पर्दा हटा नहीं है,
ऐ श्यामसुंदर हो कितने प्यारें,
हमें अभी ये पता नहीं है।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202