तुम्हारे सहारे चले जा रहे है,
तुम्ही से किनारे लगे जा रहे है,
तुम्हारें सहारे चले जा रहे हैं।।
नहीं कोई पूजा नहीं कोई साधन,
निरंतर भटकता रहे ये मेरा मन,
कृपा से किनारे लग जा रहे है,
तुम्हारें सहारे चले जा रहे हैं।।
तुम्हारी कृपा ने अजामिल को तारा,
कृपा ही बनी है हमारा सहारा,
जन अंकुश भी इसपे पले जा रहे है,
तुम्हारें सहारे चले जा रहे हैं।।
तुम्हारे सहारे चले जा रहे है,
तुम्ही से किनारे लगे जा रहे है,
तुम्हारें सहारे चले जा रहे हैं।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202