शेरावाली मैया को भजले,
तू उद्धार हो जाए,
जो भी माँ के दर पे जाए,
बेड़ा पार हो जाए।।
तर्ज – छुप गए सारे नज़ारे।
शेरावाली मैया की महिमा निराली,
वो भरती है झोली खाली,
हरती है दुख मैया सब भक्तो का,
जो बनके आये सवाली,
माँ की ममता बड़ी ही निराली है,
उनकी सूरत बड़ी भोली भाली है,
किस्मत वाला है जिसको,
माँ से प्यार हो जाये,
जो भी मां के दर पे जाए,
बेड़ा पार हो जाए।।
शेर की सवारी मैया चुनड़ी है लाल,
कहलाती है माँ जग जननी
भक्तों के दुख को दूर करे,
कहते है उसे दुखहरणी,
जो भी माँ के शरण में आते है,
मन चाही मुरादे वो पाते है,
माँ की नजर हो जिसपे,
मालामाल हो जाए,
जो भी मां के दर पे जाए,
बेड़ा पार हो जाए।।
शेरावाली मैया को भजले,
तू उद्धार हो जाए,
जो भी माँ के दर पे जाए,
बेड़ा पार हो जाए।।
गायक – धीरज कांत जी।