गजानन्द महाराज हम,
कीर्तन में तुम्हे बुलाते है,
तेरा निशिदिन ध्यान लगाते है,
गजानन्द महाराज।।
तर्ज – एक तेरा साथ।
मंगल के दाता,
जग तुमको है ध्याता,
करें शुभ काम जो,
जो तेरी शरण आये,
मनवांछित फल पाये,
भजे निष्काम जो,
पूरण कर दो काज-2,
जो भी सच्चे मन से ध्याते है,
तेरा निशिदिन ध्यान लगाते है,
गजानन्द महाराज।।
संग मात-पिता आना,
रिद्धि-सिद्धि लाना,
पधारो मेरे आँगना,
हे गणपति वरदाता,
हे मुक्ति के दाता,
हम करते तेरी वन्दना,
देवों के सरताज-2,
सारे कारज सफल बनाते है,
तेरा निशिदिन ध्यान लगाते है,
गजानन्द महाराज।।
श्रद्धा-सुमन लाये,
तेरी भक्ति हम पायें,
विनती मेरी स्वीकार करो,
विश्वास लिये मन में,
परकाश हो जीवन में,
अन्न-धन्न से भण्डार भरो,
राखो ‘परशुराम’ की लाज-2,
शीश चरणों में तेरे नवाते है,
तेरा निशिदिन ध्यान लगाते है,
गजानन्द महाराज।।
गजानन्द महाराज हम,
कीर्तन में तुम्हे बुलाते है,
तेरा निशिदिन ध्यान लगाते है,
गजानन्द महाराज।।
गायक – सौरभ उपाध्याय।
लेखक – परशुराम जी उपाध्याय।
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