म्हारे तो बस एक आसरो,
जांभोजी रे नाम रो,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
राजस्थान धोरा री धरती,
बीकाणे ज़िले माहीं,
नोखा से थें सड़क पकड़ल्यो,
चालो सालासर कानी,
सीधी सड़क दिखणादे कानी,
गैलो है आराम रो,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
बिश्नोई समाज रे सारो,
इण मंदिरिये री नींव धरी,
इस मंदिर री महिमा भारी,
अपने मुख गुणगान करी,
हां विष्णु अवतार है प्यारो,
आदि नाम शुभ आपरों,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
जबर बण्यो समराथल धोरो,
मंदिर रे च्यांरा कानी,
लंबी चौड़ी धर्मशाला है,
कुऐं रो अमृत पाणी,
बिजली री शोभा निरखण ने,
चालो आज शाम रो,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
फागण आसोजा में मेलो,
लागे भीड़ लगे अति भारी जी,
घी खोपरा करें चढ़ावा,
आवे नर और नारी जी,
दूध पताशा लेकर आवे,
हरियाणा पंजाबी सूं,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
अणगिणती री मोटर कारां,
छकड़ा और बलदा गाड़ी,
कई पैदल कई पगा उबाणा,
कई आवे घोड़ा गाड़ी,
दास सुभाष रे भजन बणायो,
नाम जप रियो आपरो,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
म्हारे तो बस एक आसरो,
जांभोजी रे नाम रो,
समराथल चाले तो थाने,
मेलों बतावा मुकाम रो।।
गायक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170