मन लेके आए है,
मईया तेरे भवन,
चरणों में वारु मईया तेरे,
अपने सौ सौ जनम,
मन लेके आए हैं,
मईया तेरे भवन।।
दर पे तेरे झुक जाता है,
ये सारा संसार,
इक तेरा दर सांचा अम्बे,
बांकी है बेकार,
जग की ठोकर खाकर मईया,
दर तेरे हम आए ,
मन मेरा अब मेरा नहीं है,
मन तेरा कहलाए,
मन लेके आए हैं,
मईया तेरे भवन।।
दुर्गे दुर्गति दूर करो अब,
हे दुर्गे कल्याणी,
चिंतपूर्णी मां जगदम्बे
अम्बे मईया रानी,
शक्ति स्वरूपा जगजननी तू,
दुष्टों को संहारे,
बीच भंवर से हम भक्तों को,
तू ही पार उतारे,
मन लेके आए हैं,
मईया तेरे भवन।।
मन लेके आए है,
मईया तेरे भवन,
चरणों में वारु मईया तेरे,
अपने सौ सौ जनम,
मन लेके आए हैं,
मईया तेरे भवन।।
लेखक – प्रकाश तिवारी मधुर।
स्वर – करिश्मा राव।