कान्हा रे तू राधा बन जा,
भूल पुरुष का मान,
तब होगा तुझको राधा की,
पीड़ा का अनुमान रे,
कान्हा रे कान्हा रे।।
तू चंचल है तू क्या जाने,
नारी मन की बात,
क्यों रहती है राधा के दो,
नैनों में बरसात,
ओ कान्हा रे कान्हा रे,
तू ही जब ये पीर न जाना,
फिर क्या तेरा ज्ञान,
कब होगा तुझको राधा की,
पीड़ा का अनुमान रे,
कान्हा रे कान्हा रे।।
प्रेम दीवानी राधा को तू,
माखन से ना तोल,
राधा का मन टूट गया तो,
क्या होगा रे बोल,
ओ कान्हा रे कान्हा रे,
देर नहीं है तज दे कान्हा,
अपना ये अभिमान,
कब होगा तुझको राधा की,
पीड़ा का अनुमान रे,
कान्हा रे कान्हा रे।।
तेरे कारण राधा का ये,
हाल हुआ रे श्याम,
राधा के अधरों पे रहता,
पल पल तेरा नाम,
ओ कान्हा रे कान्हा रे,
ऐसे तो ना बन राधा के,
दुख से तू अनजान,
कब होगा तुझको राधा की,
पीड़ा का अनुमान रे,
कान्हा रे कान्हा रे।।
कान्हा रे तू राधा बन जा,
भूल पुरुष का मान,
तब होगा तुझको राधा की,
पीड़ा का अनुमान रे,
कान्हा रे कान्हा रे।।
Singer – Anup Jalota Ji