महाकाल तेरा दीवाना,
दोहा – करता करे ना कर सके,
शिव करे सो होय,
सात खंड नवद्वीप में,
महाकाल से बड़ा ना कोई।
हे महाकाल मैं तेरा पुजारी,
तेरे रूप पे मैं बलिहारी,
मस्तक पे तेरा चाँद सजाना,
भस्म चिता की तन पे रमाना,
रूप ये तेरा है सुहाना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
महाकाल तेरा दीवाना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
तेरे रूप का मैं दीवाना।।
तर्ज – तू बुला ले बुला ले।
ओ महाकाल मेरे,
रूप के आगे तेरे,
हारना मेरे मन को पड़ा है,
तेरे श्रृंगार से,
क्यों हठे ना नज़र,
ये नशा कैसा तेरा चढ़ा है,
भंग में सजकर मस्ती चढ़ाना,
फुल में सज के जग महकाना,
सजकर यू सबका दिल चूराना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
महाकाल तेरा दीवाना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
तेरे रूप का मैं दीवाना।।
“शिव समान दाता नहीं,
विपत निवारण हार,
लज्जा मोरी राखियो,
शिव नंदी के असवार।”
मेरे स्वामी सुनो,
अंतर्यामी सुनो,
मन में रखली है तस्वीर तेरी,
बाबा तेरी झलक,
जग में सबसे अलग,
जोड़ दी तुझसे तक़दीर मेरी,
नाग गले विषधर लिपटाना,
आसान मृगछाला का बनाना,
भक्तों को देख मुस्कुराना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
महाकाल तेरा दीवाना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
तेरे रूप का मैं दीवाना।।
हे महाकाल मैं तेरा पुजारी,
तेरे रूप पे मैं बलिहारी,
मस्तक पे तेरा चाँद सजाना,
भस्म चिता की तन पे रमाना,
रूप ये तेरा है सुहाना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
महाकाल तेरा दीवाना,
मैं दीवाना दीवाना,
दीवाना दीवाना,
तेरे रूप का मैं दीवाना।।
लेखक – जयंत सांखला।
8871814367
गायक – शुभम राणा।